क्यों एक मसीही को व्यभिचार से बचना ज़रूरी है?

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प्रभु यीशु का आगमन निकट है और अब समय आ गया है की हम सब उसके राज्य के लिए तैयार हों।

परंतु आज बहुत से मसीही लोग प्रभु के आगमन की बात सुनकर डर जाते हैं क्योंकि बहुत से मसीही पाप मे हैं।

हम सब हर दिन कोशिश करते हैं की आज हम पाप नही करेंगे लेकिन बार बार फैसला करने के बाद भी हम पाप कर जाते हैं।
मेरा विचार यह है की सबसे ज्यादा हम पाप मैं पड़ते हैं व्यभिचार के कारण, आइये देखते हैं वचन क्या कहता है व्यभिचार के बारे मैं।

18 व्यभिचार से बचे रहो। जितने अन्य पाप मनुष्य करता है वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है। 19 क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है, जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्‍वर की ओर से मिला है; और तुम अपने नहीं हो? – 1 कुरिन्थियों 6: 18-19

परमेश्वर के पाक कलाम मै बार बार व्यभिचार से बचने की या उससे दूर भागने की सलाह दी गयी है। सवाल ये उठता है की आखिर क्यों परमेश्वर ने हमे व्यभिचार से दूर रहने को कहा।

1 कुरिन्थियों उसके 18 से 19 के आयतो के अनुसार हमारी देह परमेश्वर का मंदिर है। यहाँ वाक्य मंदिर का इस्तेमाल हुआ है, जो की एक बहुत ही पवित्र स्थल होता हैं जहाँ परमेश्वर का वास होता है। उत्पत्ति 1:26 मे लिखा है की परमेश्वर ने मनुष्य को अपनी ही स्वरूप और समानता मै बनाया। यहाँ दो वाक्य का इस्तेमाल हुआ है स्वरूप और समानता। यानी की प्रभु ने हमे उसी के जैसा बनाया।

26फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” – उत्पत्ति 1:26

लैव्यव्यवस्था 11:44 क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।

क्योंकि परमेश्वर पवित्र है इसलिए ये ज़रूरी है की हम भी पवित्र हों। जब हम व्यभिचार करते है तब हमारा देह अशुध् हो जाता है और प्रभु से दूर चले जाते हैं।

3हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले,
तो हे प्रभु, कौन खड़ा रह सकेगा?
4परन्तु तू क्षमा करनेवाला है,
जिससे तेरा भय माना जाए। – भजन संहिता 130:3-4

लेकिन वचन कहता है की परमेश्वर क्षमा करने वाला है, वह आपकी सारी गुनाहों को माफ करने की समर्थ रखता है, यदि आज आप विश्वास करके उसके सामने मन फिराव करोगे तो आज ही आप बचा लिए जाओगे।

मैं तुम से कहता हूँ कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानबे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं। – लूका 15: 7

वचन के अनुसार जब आप मन फिराते हो तब स्वर्ग मे बहुत आनंद होता है, मेरे प्यारे मसीहीयो आज परमेश्वर आपका इंतज़ार का रहा है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति धर्मी नही हम सबने पाप किया है
लेकिन मन फिराव का अवसर हम सभी को मिला है ।

10 जैसा लिखा है :
“कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।

– रोमियों 3:10

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